परमेश्वर के सरल होने का अर्थ।




                                                       परमेश्वर के सरल होने का क्या अर्थ है? 

 सादगीय (सरलता)

 परिभाषा- सादगीय का अर्थ है कि- परमेश्वर को भागों में नहीं बाँटा जा सकता है, और न ही वह अलग-अलग भागों से मिलकर बना हुआ है। परमेश्वर हमेशा से एक अस्तित्व तथा तीन भिन्न जनों में हैं। परमेश्वर स्वयं में परमेश्वर है, उसे परमेश्वर होने के लिए किसी की आवश्यकता नहीं है।


बाइबल पर आधारित तथ्य- परमेश्वर स्वयं में अपनी विशेषता है। परमेश्वर हमेशा से एक निश्चित एकता में है। हम इस बात को देखते हैं कि परमेश्वर के लोग हमेशा से परमेश्वर के एक अस्तित्व को मानते चले आ रहे है, हम देखते कि- इस्राएलियों ने परमेश्वर एक अस्तित्व को स्वीकारा- इस बात को हम व्यवस्थाविवरण उसके 6:4 में देखते हैं कि- ‘यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है’, उसके अलावा कोई परमेश्वर नहीं है। हम इस बात को भी देखते हैं कि उसका अस्तित्व ही उसकी विशेषता है, वह अपने स्वभाव में भिन्न नहीं है। हम यूहन्ना उसके 4:16 के आधार पर देखते हैं यीशु मसीह परमेश्वर के समान सर्वज्ञानी है, वह सब-कुछ को जानता है, वह परमेश्वर के अस्तित्व में है। इसलिए परमेश्वर को भागों में नहीं बाँट सकते हैं। 


परमेश्वर के सिद्धांत के लिए इसके महत्व को प्रदर्शित करना- हम देखते हैं कि परमेश्वर का अस्तित्व उसकी विशेषताओं के साथ समान है। सब कुछ परमेश्वर में- परमेश्वर है। परमेश्वर का सादगीय होने के लिए उसे अवश्य प्रत्येक गुणों में समान होना है। परमेश्वर प्रेम है, वह दयालु है तथा वह न्यायी है। परमेश्वर के अस्तित्व तथा उसके गुणों में कोई भिन्नता नहीं हैं। परमेश्वर के गुणों के प्रति सोचने में हमारे में भिन्नता होती है न कि परमेश्वर में। हम त्रिएकता के विषय में देखते हैं कि परमेश्वर- परमेश्वर पिता, पुत्र, पवित्र आत्मा में हमेशा से है, त्रिएकता का प्रत्येक जन 100 प्रतिशत परमेश्वर है- यह परमेश्वर के सादगीय होने के लिए आवश्यक है।


यह सिद्धांत कलीसिया के लिए कैसे उपयोगी है- सादगीय का सिद्धांत कलीसिया की सहायता करता है कि परमेश्वर का अस्तित्व एक है तथा उसमें तीन भिन्न व्यक्ति अनंत से हैं, इन व्यक्तियों को हम अलग-2 तीन भागों में नहीं बाँट सकते हैं, इसके विपरीत कलीसिया को परमेश्वर को एक अस्तित्व तथा भिन्न व्यक्तियों के अनुसार समझना है। यह सिद्धांत- विश्वासियों को बहु-ईश्वरवाद के संदेह से बचाता है, परमेश्वर के पास अपने स्वभाव से कोई भिन्न गुण नहीं है। यह परमेश्वर किसी के ऊपर किसी भी बात के लिए निर्भर नहीं है, उसे किसी की आवश्यकता नहीं है लेकिन फिर भी वह कलीसिया को अपनी महिमा के लिए उपयोग करता है। 



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